Monday 8 August 2011

गर्व है भारत, मुझे तुम पर !!


                                "स्वादिष्ट भोजन" , इस शब्द मे ही कुछ जादू है . और अगर बात भारतीय भोजन की हो रही हो, जहां मिर्च-मसाला अपने चरम पर नज़र आते हैं , तो किसी के लिए भी नियंत्रण मुश्किल हो जाए ..! फिर भले ही वो शाही मुगलई खाना हो , या हैदराबाद की बिरयानी , या फिर पंजाब की धरती की मशहूर ' मक्की की रोटी , और सरसों का साग ' , भारत की रसोई की खुशबू से बचना आसान नहीं है . गुजरात का ' ढोकला-खाखरा-थेपला-भजिया-गांठिया ' ... ये तो सिर्फ चंद ही नाम हैं स्वाद के उस समंदर में से , जिनको याद करना भर ही गुजरात का मेहमान बनने का सुझाव दे जाता है . हिंदुस्तान के पकवानों की बात चल रही हो , और मिठाइयों का ज़िक्र न हो , भला ऐसा भी हो सकता है क्या ! नाम-भर लिखना ही मुश्किल हो जाए , क्योंकि इन मिठाइयों को याद करते ही मुह में इतना पानी आ जाता है . 'जलेबी' .. नाम याद आते ही मिठाई की दुकान का मानो न्योता आ जाता है. काजू-कतली हो या बंगाली रोशोगुल्ला या मोतीचूर का लड्डू , हलवाई की दुकान ढूंढना एक मजबूरी बन जाती है 


                                   नाम तो अनगिनत होंगे .. और यहाँ भला कितने लिखे जा सकते हैं ..! कहने की बात तो ये है , कि भारत की महानता की दास्तान उसकी पाकशाला के सन्दर्भ में भी कमज़ोर नहीं पड़ती है . और ये ही बात है , जो मुझे एक कारण देते है , ये कहने का , कि
                                 "अब ये है भारत ...
                                 गर्व है भारत, मुझे तुम पर !! . 
                                 मेरे पास हर एक कारण  है तुम पर गर्व करने का... !!"
                                एक वातानुकूलित रेस्तरां में बैठकर अच्छा खाना खाने का अवसर किसी भी आम भारतीय का एक मनपसंद तरीका होता है ताज़ा होने के लिए . इतना प्रभावी होता है ये , जैसे कि आप किसी दूसरी दुनिया में ही पहुंचा दिए जाते हैं , जहां आप अपने अस्तित्व को तलाश सकते हैं.. हाँ , एक अनुभव ,डायरी में जोड़ने के योग्य ...
                    कहते हैं , कि बहुत हद तक भोजन का स्वाद इस  बात पर निर्भर करता है , कि उसे बनाने वाला कौन है. बहुत बार स्वादिष्ट पकवानों से जुड़े हुए साहित्य पढ़ते हुए एक विशेष प्रकार का विचार मेरे मन में उमड़-घुमड़ करने लगता  है , कि संसार तरह-तरह के व्यंजनों से भरपूर है . लेकिन एक उन व्यंजनों को पकाने वाले लोग पसीने से तर-बतर हो जाते हैं, तब कहीं जाकर खुद के लिए सादी-सूखी रोटी जुटा पाते हैं .
और ये ही बात है, जो मुझे एक कारण देते है , ये कहने का , कि
                                "अब ये है भारत ...
                                 गर्व है भारत, मुझे तुम पर !! . 
                                 मेरे पास हर एक कारण है तुम पर गर्व करने का... !!"

: - टिम्सी .

                             

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