Wednesday 3 August 2011

ये सपनीली दुनिया . .

बहुत बार इस दुनिया के नज़ारे देखकर हैरानी होती हैं. इतनी बड़ी दुनिया, और एक मामूली पत्ते की भी शक्ल दूसरे पत्ते से जुदा.. इतनी विविधता..!! कैसे..!! कोई भी चकरा जाए..!!
जब एक पत्ता भी दूसरे पत्ते से मेल नहीं खाता, तो फिर भला इंसान-इंसान एक-से कैसे हो सकते हैं..! जितने लोग, उतनी बातें, और उतने ही विचार.. ! हर एक चेहरा दूसरे से अलग, कोई भी एक आँखों की जोड़ी दूसरी से हू-ब-हू नहीं मेल खाती..! पर एक समानता तो है..! सपने तो हर आँख 'एक' ही शिद्दत से देखती है..! भले ही आँखें नीली हों, या काली.. सागर-सी गहरी हों, या फिर इतनी महीन हों जो नज़र भी बमुश्किल आ पायें, सपने तो हर-एक आँख में बहुरंगी ही होते हैं. सच ये ही है, कि वो सपने ही होते हैं, जो एक आम ज़िन्दगी को खासियत देने का रास्ता बताते हैं. आँख वाले का नजरिया तो होता ही है सपना, साथ ही मन के अनकहे जज़्बात भी होते हैं सपने..!
बहुत बार जीवन में हम ऐसी पगडंडियों पर सफ़र कर रहे होते हैं, कि जब सामने आने वाले किसी राहगीर को देखकर एक विचार आता है, कि भला इसका भी कोई जीवन होगा..! हाँ.. हालात और मजबूरियाँ बेशक कभी-कभी किसी ज़िन्दगी को इतना क्लिष्ट कर देते हैं, कि आते-जाते अनजान लोग भी हिकारत की नजरों से देखते चले जाते हैं. पर हमारी स्थूल दृष्टि भला उनकी आँखों में पलने वाले नन्हे सपनों को कैसे जांच पाएगी..! अगर कभी हम उनके अकेलेपन के साथी बन देखें, उनका वो विश्वास जीत सकें, जिसे दुनिया से सिर्फ घात  मिल पायी है, तो फिर उनकी भी ज़बान के रस्ते कुछ सपनों को दुनिया की रौशनी देखने का मौका ज़रूर मिल पाए. पर वो बात अलग है, कि ये रौशनी उन सपनों को हकीकत का मुलम्मा चढाने के हिसाब से बहुत मद्धिम हुआ करती है..!
कभी-कभी ऐसा लगता है, कि बंद आँखों के सपनों पर तो बस नहीं है, लेकिन खुली आँखों से सपने देखने की भला क्या प्रासंगिकता है..? क्यों हम बुनते रहते हैं सपने, अरमान, और खुश होते रहते हैं इस सपनीली दुनिया में जीते हुए..!! 
और तब एहसास होता है, कि खुली आँखों में सपने हैं, तभी तो आँखें खोल कर देखी जा सके, ऐसी ये हकीकत है.. ! हम अपने सपनों को, अपनी चाहतों को आकार न दें, तो दुनिया में हम क्या देखना चाहेंगे..? बेशक, ये सपने ही तो हैं, जो दुनिया को हसीन बनाते हैं...! बशर्ते, कि इंसान उस जुम्बिश को ज़िन्दा रखे, कि जो सपनीली दुनिया से हकीकत का सफ़र करा सके. नहीं तो खुली आँख का हो, या चाहे बंद आँख का..वो सपना कभी न कभी टूट ही जाएगा..!!

No comments: