Sunday, 23 June 2013

हम गर्वीले भारतीय..

पहाड़ों पर भूखे-प्यासे भटक रहे लोगों को रोटी का एक टुकड़ा भी देने से साफ़ इनकार कर दिया। आग जलाने के लिए माचिस की एक तीली-भर देने को भी मना कर दिया। अपने इस बर्ताव से पहाड़ी लोगों ने यह बता दिया कि उनका मन भी पहाड़ के ही जैसा विशाल है। मुसीबत के मारे लोगों का पैसा-सोना लूट-लूट कर उन्होंने यह भी स्पष्ट समझा दिया कि भारत को संस्कृति के मामले में विश्वभर में ऊंचा स्थान क्यों दिया जाता है। पर यह कटाक्ष पहाड़ी लोगों के ही लिए है, ऐसा भी नहीं है।    

मेरे महान देश के हर कोने में ऐसे ही तो महापुरुष भरे हुए हैं! सब अपनी-अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे होते हैं बस, समाज-सेवा करने के लिए। सच यह है कि जब खुद हमें भी मौका मिलेगा तो हम भी बता देंगे पूरी दुनिया को, कि ज़रूरतमंद का फायदा उठाना हमें भी आता है। संवेदनशून्यता के इस काले युग में हम सब अपने-अपने हिस्से की स्याही जीवन-कुण्ड में अर्पण कर अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं। 

अगर अपनी जान पर खेलकर दूसरों को बचाने के लिए सेना के जवान 'भी' न आते, तो न जाने कितनी आँखें बहते-बहते दर्द के दरिया में डूब जाती, और कितनी आँखें अपनों की बाट तकते-तकते सूख जाती! पर ये फ़िज़ूल बातें सोचने का समय तो हमारे पास नहीं है। क्योंकि हम तो यहाँ सुरक्षित हैं। तो, हम तो घर बैठ कर पिज़्ज़ा खायेंगे, और सन्डे मनाएंगे। हम मुस्कुराएंगे। :)

जय जवान

2 comments:

Rajesh Kumari said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

Unknown said...

Very true timsy ji....apni apni soch hai sabki.