मेरी हॉबी है, रोज़ शाम को अपनी द्विचक्रिका (साइकिल) के आगे लगी
टोकरी में रंग-बिरंगे फूलों का एक सुन्दर-सा गुच्छा सजाकर, (हवाई) सैर के
लिए निकलना। और उसके बाद रस्ते-भर मस्ती से हीरोइनों की तरह प्यारे-प्यारे
गीत गुनगुनाते जाना। मगर आजकल ये मेरी हॉबी मुझे परेशां-परेशां-परेशां करने
लगी है। कारण??
'मच्छर' !
'मच्छर' !
मौसमी मच्छरों की इस साल ऐसी ज़बरदस्त पैदावार हो रही है, कि रस्ते पर साइक्लिंग करते हुए गाना गाने के लिए ज़रा-सा मुँह खोला नहीं, कि … ईईईई …… ईईईई………… !!!
प्रिय हस्ताक्षर :-
टिम्सी मेहता :) :P
No comments:
Post a Comment