Wednesday, 16 October 2013

ये मेरी हॉबी...

मेरी हॉबी है, रोज़ शाम को अपनी द्विचक्रिका (साइकिल) के आगे लगी टोकरी में रंग-बिरंगे फूलों का एक सुन्दर-सा गुच्छा सजाकर, (हवाई) सैर के लिए निकलना। और उसके बाद रस्ते-भर मस्ती से हीरोइनों की तरह प्यारे-प्यारे गीत गुनगुनाते जाना। मगर आजकल ये मेरी हॉबी मुझे परेशां-परेशां-परेशां करने लगी है। कारण??
 

'मच्छर' !

मौसमी मच्छरों की इस साल ऐसी ज़बरदस्त पैदावार हो रही है, कि रस्ते पर साइक्लिंग करते हुए गाना गाने के लिए ज़रा-सा मुँह खोला नहीं, कि … ईईईई …… ईईईई…………   !!!

प्रिय हस्ताक्षर :-

टिम्सी मेहता :) :P

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