कच्ची-पक्की पगडंडियों पर
पलती ज़िंदगी
है तो बिलकुल
मोम सी..
पिघले जाती है
पलों की आंच में,
और
पलों के दरमियान ही
जम जाती है
आधी-टेढ़ी होकर..
हैरां-परेशां आँखों की जोड़ी
पलकें
झपका भर पाती है,
और ज़िंदगी की
शक्ल बदल जाती है.
-टिम्सी मेहता
पलती ज़िंदगी
है तो बिलकुल
मोम सी..
पिघले जाती है
पलों की आंच में,
और
पलों के दरमियान ही
जम जाती है
आधी-टेढ़ी होकर..
हैरां-परेशां आँखों की जोड़ी
पलकें
झपका भर पाती है,
और ज़िंदगी की
शक्ल बदल जाती है.
-टिम्सी मेहता
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