भारत
का एक आम आदमी भ्रष्टाचार से उतना ही दूर होता है जितना दूर उससे
भ्रष्टाचार करने का 'मौका' होता है। हम लोगों की तो ऐसी ही कहानी होती है,
कि जिस दिन रोटी मिल गयी तो वाह-वाह, और जिस दिन न मिली तो खुद को 'महान व्रतधारी' घोषित कर दिया। पता है मुझे, कि बहुत से अपवाद हैं यहाँ, पर देखने की बात है, मौका आते ही उनका भी क्या होगा -----
विश्वगुरु भारतवर्ष की जय।