टूटा था तारा कहीं,
छूट के गिरा जो
आसमां के दामन से।
छूट के गिरा जो
आसमां के दामन से।
देख उसे मन में
एक ख़ाब संजो लिया
आस के जोबन से।
सुच्चा मोती बना
मन में था संभाला
बड़े जतन से।
टूटा जो मोती आज,
बह के आ निकला वो
आँखों के आँगन से...
ज्य़ादा तड़पाते हैं
ये टूटे मोती, देखो…
:- टिम्सी मेहता