Wednesday, 6 November 2013

आज की ताज़ा ख़बरें...

कई बार लोग पूछते हैं कि आज सुबह नाश्ते में क्या लिया। मेरा जवाब होता है, समाचार-पत्र लिया। सही ही तो है, समाचार-पत्र न पढ़ा तो दिनभर अधूरापन महसूस होता रहता है। आज सुबह समाचार-पत्र  का नाश्ता बहुत स्वादिष्ट लगा, पर पता नही अपच से खट्टी डकारें क्यों आ रही हैं सुबह से। कुछ ख़बरें हो जाएँ!
मुखपृष्ठ पर तो आज सचिन के सिवा कुछ है ही नहीं! और, सचिन के नाम के स्थान पर 'भगवान' शब्द का प्रयोग बहुत खूब लगा। आज खुश तो बहुत हुए होंगे भगवान् (आकाश वाले) अपने इतने महिमा-मंडन पर!  
विदाई के उपलक्ष्य में सचिन जी को सोने का एक सिक्का, और सोने के 199 पत्तों से सजा चांदी से बना बरगद का पेड़ भेंट किया जायेगा। अच्छा लगता है यह सब पढ़कर। आखिर सचिन एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं, क्रिकेट जैसे खेल में रन बनाना कोई आसान काम है क्या! पिच पर दौड़ते-दौड़ते ही पसीने छूट जाते हैं! इस विषय को आगे देखेंगे, अभी एक और समाचार पर चर्चा हो जाए।
450 करोड़ की लागत वाला मंगल अभियान का पहला चरण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस पर अपनी टिप्प्णी देते हुए समाचार-पत्र की ओर से कहा गया है कि "इस तरह के भी स्वर सुनाई पड़ रहे हैं कि भारत को ऐसे किसी अभियान में अपनी ऊर्जा और संसाधन खपाने के बजाय अपना सारा ध्यान गरीबी, अशिक्षा और ऐसी ही अन्य समस्याओं को दूर करने में लगाना चाहिए था। यह महज आलोचना के लिए आलोचना वाले स्वर हैं, क्योंकि समग्र विकास के लिए यह आवश्यक है कि देश सभी क्षेत्रों में तरक्की करे। "
समाचार-पत्र जी! आपका कहना एकदम सही है, आज मंगल के मिशन को प्रारंभिक सफलता मिली है। कल पूरी सफलता मिल ही जायेगी। इसके बाद हम वहाँ जीवन हेतु शोध करेंगे। शोध के सकारात्मक परिणाम भी जल्द ही मिलेंगे। फिर एक दिन हम जैसे रईस लोग वहाँ ज़मीन खरीद कर बड़े-बड़े महल और मॉल बनाएंगे। इसके बाद विदेशों में बसना तो पुरातनपंथी लोगों का ही स्वप्न हुआ करेगा, हम आधुनिक लोग तो मंगल पर ही रहना चाहेंगे! आलोचना करने वाले तो बस आलोचना करते रह जाएँगे, उन्हें अनसुना करने में ही अकलमंदी है। 
हूँ! तो… अभी के लिए एक बार गरीब को आलू-प्याज़ में ही उलझने दिया जाए, कारण यह है कि इस समय धन की ज्यादा आवश्यकता अमीरों को है, क्योंकि उन्हें मंगल पर रहने के लिए ज़मीन खरीदनी है, और उसके लिए धन तो चाहिए ही! तो इसलिए एक बार सचिन जी (भगवान् जी) को ही धन-स्वर्ण दे दिया जाए! गरीबी-अशिक्षा इत्यादि समस्याएँ देश के समग्र विकास के बाद देख ही ली जायेंगी! गारंटी से!  
अभी तक जो अपच हो रही थी, उसके साथ ही अभी-अभी सरदर्द भी होने लगा है। चिंता से। सचिन जी के लिए चिंतित हूँ। महंगाई के इस दौर में उनका गुज़ारा इतने कम सोने से कैसे हो पायेगा? उधर सोने के लिए किले के पास क़ी खुदाई भी अब…खटाई में पड़ गयी-सी है!! खैर.. अब तो मंगल से ही मंगल की आशाएं जुड़ी हैं! देखें!

:- टिम्सी मेहता