Wednesday 30 April 2014

मेरा प्रश्न

रात के एक बजे कमरे में कोई रोशनी नहीं थी। और मेरी आँखों से नींद के चिह्न भी नदारद थे। देश के राजनीतिक परिदृश्य पर विचार करते हुए मेरे मन में यूँ ही एक सवाल उठा। और उसका जवाब मुझे अभी तक नहीं मिल पाया है।

प्रश्न है, कि "मूर्खों के देश में राजा अधिक मूर्ख होता है, या प्रजा?"

-टिम्सी मेहता

2 comments:

कविता रावत said...

प्रजा!!

'एकलव्य' said...

निमंत्रण

विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।